सामाजिक

शिक्षा सबसे सशक्त हथियार है, जिससे आप दुनिया बदल सकते हैं

शिक्षा का अर्थ होता है कि….. जो हमारे चरित्र का निर्माण करे, मस्तिष्क की शक्ति में वृद्धि करें, हमें सही व गलत का अहसास कराये।
और हमें अपने आप पर आत्मनिर्भर बनाकर अपने पैरों पर खड़े होने योग्य बनायें। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो हमारे अंदर परोपकारिता का गुण विकसित करे।हमारे व्यवहार में अनुशासन लाये।
लेकिन दोस्तों ….. अफ़सोस की बात यह है की आज के दौर में सब कुछ इसके विपरीत हो रहा हे।
आजकल लोग फर्जी higher dgree लेकर या पैसे देकर डीग्री लेकर अपने आप को बहुत महान समझतें है। उनमें उस dgree या उस level की शिक्षा के जरा भी गुण नहीं होतें।
और अजीब बात तो ये हे की…. फिर वो दूसरों को भी ऐसा ही करने को बोलते हैं।
हम सब (ज्यादतर) भेड़ की चाल में चल रहे हें हम सब भीड़ मे दौड़ रहे हैं।
दोस्तों में आपसे एक प्रश्न करता हूँ, क्या यही सब करने के लिए हम पैदा हुए है? क्या हमारा जन्म इसीलिए हुआ है? क्या भगवान ने हमे इसीलिए बनाया है? क्या हममे कुछ भी अलग नहीं हैं?
शिक्षा का मतलब है कि हमें हमारे जीवन का उद्देश्य का बोध हो जायें। हमें हमारा कर्तव्य मालूम हों, हमहे इस दुनिया में आने की वजह का पता चल जायें।
दोस्तों। इस दुनिया में ईश्वर ने हम सबको एक खास पहचान के साथ भेजा हैं। बस देर है उसको पहचाननें की ….मुझमें इस दुनिया से क्या अलग हैं।. everyone is unique…
और शिक्षा हमें इसमें मदद करती है कि आप अपने आप को पूरी तरह से पहचान सको, अपने अंदर की आवाज सुन सको।
और जब हमें हमारे लक्ष्य का पता चल जाए । तो पूरी तरह से उसमे जुट जाओ ,अपना सब कुछ उसको प्राप्त करने में लगा दो।
— राज सिंह

राज सिंह रघुवंशी

बक्सर, बिहार से कवि-लेखक पिन-802101 [email protected]