गीत : मैं बच्चा हिन्दुस्तान का
मेरे मन में बीज ना बोना जात पात के नाम का
मैं नहीं हूँ कायर तुम जैसा मैं बच्चा हिन्दुस्तान का
मैंने मेरी मातृभूमि को पल पल रोते देखा है
कहीं विस्फोटों की गर्मी से बहुत झुलसते देखा है
नहीं शान्ति का मैं विरोधी नहीं विरोधी राम का
कट्टर वाद से नहीं जन्मा मैं बालक हिन्दुस्तान का
न चाहूं सोने की रोटी न पैसे की रैना हो
न चाहूं मैं बम और गोले न बॉर्डर पर सेना हो
मैं तो सूरज का आदी हूँ नहीं पक्षधर शाम का
भारत भूमि से जन्मा मैं बालक हिन्दुस्तान का
किसी भारत के बच्चे ने शेरों के दांत गिनाये थे
बालक बनकर हनुमत भी भानू को ग्रस कर आये थे
कण कण पृथ्वीराज यहाँ और बालक है श्री राम सा
मुझे कमजोर समझना ना मैं बालक हिन्दुस्तान का
शत्रुता नहीं निभाना मुझसे मातृभूमि का प्रहरी हूँ
हलचल मत कर जाना पापी मैं कश्मीर की देहरी हूँ
सूरज अस्त ही हो जाएगा सोचा जो संग्राम का
न मुझको मरने का डर है नहीं किसी परिणाम का
भारत भूमि वीर पुत्र मैं बालक हिन्दुस्तान का
— विनय भारत