गीतिका/ग़ज़ल

अस्तित्व

आँधियों के वेग से दिन रात भागना
अपने प्रतिरूप अस्तित्व रिश्ते झाकना.

कुछ से तनाव ले कुछ मन बना नाता
यूँ ही जीवन लगा हर क्षण चला जाता.

हाड़ -मास गात हूँ तूफानों में बढ़ना जानी
तवाही में भी सदैब अपनी दोष गति मानी.

जो काम लिया हमेशा मन से किया ठानी
बना मुझसे नीड़ पर अस्मिता सबने पहचानी.

आज शक के घेरे खड़ी डरती दुनिया जगाती
अपने जज़्बातों के अनगिनत रंगों में खो नहाती.

जिंदगी का सार हर पल ढूढती बढती सी जाती
कब हकीकत मेरी समझ आये ये सोच बहलाती.

रहू खामोश अहसासों जुवान में बसी हैं प्रेम धारा
गम परिक्षाओ में तप सा निखरा जीवन सा सहारा.

रेखा मोहन १६/८/२०१७

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]