गीतिका
जब से साथ लेखन प्रेमियों का पाया,
बुद्धिजीवी, साहित्यकारो से सीख पाया
रोज नये विषय नये विचार सा व्यबहार,
मन लिखने को रहता बहुत उकसाया
रचना का मापदंड सही रूप समझकर,
तभी तो अपना समझ सही समझाया
जिन से नये गुर सीख से लिख पाते ,
उन्होंने सदा नेह से नया राह दिखाया
जिन मनीषियों के बस नाम थे सुनते,
हमने उनको श्रदा के शब्द पुष्प चढाया
— रेखा मोहन २१/८/२०१७
जब से साथ लेखन प्रेमियों का पाया,
बुद्धिजीवी, साहित्यकारो से सीख पाया |