ढलेगी जीत में ये हार इक दिन
ढलेगी जीत में ये हार इक दिन
गिरेगी राह की दीवार इक दिन
चलेगा नाम का सिक्का हमारा
झुकेगा सामने संसार इक दिन
मिटेगा नाम जग से नफ़रतों का
रहेगा प्यार केवल प्यार इक दिन
धरम के नाम पर जो हो रहा है
रुकेगा पाप का व्यापार इक दिन
बहुत ऊँचा बहुत ऊँचा उड़ा जो
गिरेगा देखना थक हार इक दिन
सम्हालो तुम इसे लुट ही न जाये
कहीं अज़दाद की दस्तार इक दिन
बदी को देख कर हम चुप रहे तो
कहीं नेकी न जाए हार इक दिन
सतीश बंसल
२१.०८.२०१७