कविता

तेरे रूह की पैरहन

मेरी रूह

तेरे रूह की

पैरहन में लिपटे

खामोश फ़िज़ा में

कुछ इस तरह सिमटे

दिल की ख़िलाफ़त

एक-एक लम्हें की अदायगी

तेरे यादों की सिलवटें

मुझमें मुझी को करें जुदा

धड़कनों की आहटें

साँसों की ये बंदिशे

इश्क़ और यही दीवानगी

तेरे वादों पे मिटते

राहत को तरसे

आँखों की सुर्ख़ मिलावटे

अश्कों का सैलाब

ज़माने की नज़र में आवारगी

तेरे दर्द के बिखरें छींटे

ख़ुशी के पलों पे ठहरें

तन्हाई कांटे न कटे

हर्फो से जाने क्यों उलझे

तेरे अहसास को पलटे

खामोश ख्वाहिशों को

शाम के पहर…लिखते रहे

रूह के पैरहन में …लिपटे

नंदिता में सिमटे तेरे रूह की सादगी…..!!

नंदिता तनुजा

 

 

तनूजा नंदिता

नाम...... तनूजा नंदिता लखनऊ ...उत्तर प्रदेश शिक्षा....एम॰ ए० एंव डिप्लोमा होल्डर्स इन आफिस मैनेजमेंट कार्यरत... अकाउंटेंट​ इन प्राइवेट फर्म वर्ष 2002से लेखन में रुचि. ली... कुछ वर्षों तक लेखन से दूर नहीं... फिर फ़ेसबुक पर वर्ष 2013 से नंदिता के नाम से लेखन कार्य कर रही हूँ । मेरे प्रकाशित साझा संग्रह.... अहसास एक पल (सांझा काव्य संग्रह) शब्दों के रंग (सांझा काव्य संग्रह) अनकहे जज्बात (सांझा काव्य संग्रह ) सत्यम प्रभात (सांझा काव्य संग्रह ) शब्दों के कलम (सांझा काव्य संग्रह ) मधुबन (काव्यसंग्रह) तितिक्षा (कहानी संग्रह) काव्यगंगा-1 (काव्यसंग्रह) लोकजंग, शिखर विजय व राजस्थान की जान नामक पत्रिका में समय समय पर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है । मेरा आने वाला स्वयं का एकल काव्य संग्रह... मेरी रुह-अहसास का पंछी प्रकाशन प्रक्रिया में है नई काव्य संग्रह- काव्यगंगा भी प्रकिया में है कहानी संग्रह भी प्रक्रिया में है संपर्क e-mail [email protected] Facebook [email protected]