दुनिया से अँधियार मिटाना, हम सब की जिम्मेदारी है।
दुनिया से अँधियार मिटाना, हम सब की जिम्मेदारी है।
संस्कारों के दीप जलाना, हम सब की जिम्मेदारी है।।
सर्दी गर्मी पतझर सावन, मौसम तो पल पल बदलेगा।
लेकिन माली के परिश्रम से, गुलशन का हर फूल खिलेगा।।
सैयादों से चमन बचाना, हम सब की जिम्मेदारी है…
संस्कारों के दीप जलाना, हम सब की जिम्मेदारी है…
पिछली पीढ़ी ने सौपीं जो, गौरवशाली परंपराएँ।
उन सबको अक्षुण्य रखें हम, अगली नस्लों तक पहुँचाएँ।।
नव नस्लों को राह दिखाना, हम सब की जिम्मेदारी है…
संस्कारों के दीप जलाना, हम सब की जिम्मेदारी है…
आड़म्बर की भेंट चढ़ रही, धर्मों की पावन परिपाटी।
कट्टरता से कराह रही है, सत्य अहिंसा की यह माटी।।
मानवता के फूल खिलाना, हम सब की जिम्मेदारी है…
संस्कारों के दीप जलाना, हम सब की जिम्मेदारी है…
लुटे हुए अपने गौरव को, फिर से हमको पाना होगा।
देश प्रेम का मानवता का, मन में दीप जलाना होगा।।
मानवता का धर्म निभाना, हम सब की जिम्मेदारी है…
संस्कारों के दीप जलाना, हम सब की जिम्मेदारी है…
सतीश बंसल
२०.०८.२०१७