प्रेम….
सुनो !
समझो ना
होने लगा है प्यार तुमसे
गहराता जा रहा दिनों दिन
हर एक लम्हा प्यार का रिश्ता
नहीं रिश्ता नहीं
एक रूहानी एहसास
पास नहीं तुम मेरे
फिरभी जी रही हूँ
तुम्हारी यादों के साथ
और यकीन मानो !
बहुत सुकून है दिल को मेरे
मन से मन का जुड़ना
एक दूसरे को खुद में महसूसना
यही तो है प्यार की निशानियां
हाँ मुझे भी
होने लगा है ये सब कुछ
हो गया है शायद प्यार
सुनो !
मिलना तो नामुमकिन है मेरा
तो क्या ?
तुम निभाओगे ताउम्र
जिस्म से परे एहसासों के रिश्ते
जिसे प्रेम कहते है