गीतिका/ग़ज़ल

भले कुछ कह रहे हो तुम सियासत और ही कुछ है

भले कुछ कह रहे हो तुम सियासत और ही कुछ है
तुम्हारी हर हकीकत की हकीकत और ही कुछ है

मुहब्बत तुम करोगे सोचकर हैरान हूँ बेहद
मुझे पक्का यकीं है ये शरारत और ही कुछ है

बनाए और तोड़े है कई रिश्ते कई नाते
तुम्हारी दोस्तों से यार चाहत और ही कुछ है

नये किस्से नये सपने कहानी है नयी हर सब
बताते और हो पर यार हसरत और ही कुछ है

धरम के नाम पर बस ढ़ोंग केवल ढ़ोंग करते हो
बताते हो जिसे रब की इबादत और ही कुछ है

लगाकर टोपियाँ कोई दुशाला ओढ़कर निकला
दिखावा बंदगी का है हकीकत और ही कुछ है

मुसलमां सिख इसाई पारसी हिन्दू नही मुस्लिम
कहूँ सच देश की असली मुसीबत और ही कुछ है

सतीश बंसल
२८.०७.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.