भाषा-साहित्य

इंसान को अधिक कौन संवारता है, आलोचना या समालोचना

हर व्यक्ति व रचनाकार में गुण व दोष स्वाभाविक रूप से होते हैं और जहाँ एक ओर दोष जानना आवश्यक है वहीं दूसरी ओर गुण जानना भी व्यक्ति या रचनाकार के लिए आवश्यक है।

‘समालोचना’ अर्थात् सम्यक रूप से देखना और जब सम्यक रूप से हम देखते हैं, सम दृष्टि रखते हैं तो दोष के साथ-साथ गुण भी बताते हैं और दोष के साथ अपने गुण जानना भी व्यक्ति या रचनाकार का हक़ है क्योंकि कई बार लिखते समय अपनी रचना में क्या विशेष बात रचनाकार लिख गया, वो स्वयं ही नहीं जान पाता।

ऐसी ही एक घटना मेरे साथ हुई। 14 जनवरी 2017 को मेरे बाल काव्य संग्रह “उमंग” का विमोचन विश्व पुस्तक मेले, प्रगति मैदान, नई देहली में हुआ। उस दिन हॉल नं 12 के लेखक मंच पर मैंने अपनी एक बाल कविता “मछली” सुनाई जिसमें ऐसा कुछ था कि मछली कभी पेड़ पर चढ़ती, कभी रेल की पटरी पर, कभी बर्गर तो कभी पिज़्ज़ा के साथ पिकनिक मनाना चाहती और अंत में तेज़ हवा से डरकर पानी में कूद जाती है। उस समय विमोचन के लिए आये लोगों के अतिरिक्त और भी बहुत से लोग जो मेला देखने आए थे, वहां खड़े होकर सुन रहे थे।

दूसरे दिन अपनी सहेली के अनुरोध पर मैं पुनः मेले में गयी। वहां घूमते हुए अचानक एक व्यक्ति मुझे देखते हुए ठिठक गया और फिर आगे बढ़ गया, दूसरे ही पल वापस मुड़ कर मेरे सामने आया और बोला,

“नमस्कार”
“नमस्कार जी, मैंने आपको नहीं पहचाना”
“कल आपकी पुस्तक का विमोचन हुआ था न और आपने मछली विषय पर कविता भी सुनाई थी”
“जी, सही कहा आपने” (मन ही मन मैं डर रही थी कि शायद कविता अच्छी नहीं है, यही कहेगा वो)
“बहुत अच्छी कविता थी, साथ ही उसमें एक शिक्षा भी थी बच्चों के लिए कि चाहे कितना भी कोई घूम आये पर वापस अपने घर ही जाना चाहता है क्योंकि घर में ही उसको सुरक्षा का एहसास होता है”
“बहुत बहुत धन्यवाद आपका”

अभी मैं ठीक से धन्यवाद कह भी नहीं पाई थी न ही उनका परिचय जान पाई थी कि वो व्यक्ति तेज़ी से चला गया।

मित्रों, यहाँ मैं ये बताना चाहती हूँ कि कविता लिखते समय मैंने ऐसा कुछ सोचा भी नहीं था और न ही मुझे इससे मिलने वाली शिक्षा का इल्म था। उस व्यक्ति के कहने के बाद मेरा ध्यान गया कि सचमुच इस कविता से बच्चों को बेहतरीन शिक्षा मिल रही है। उसके बाद जब भी मैंने बच्चों के लिए कविता लिखी इस बात का हमेशा ध्यान रखा कि मैं अपनी कविता से कहीं बच्चों को गलत संदेश तो नहीं दे रही और अच्छी शिक्षा ही दे सकूँ, इसका ध्यान रखा।

आलोचना अर्थात् कमियाँ बताना। रचना की सिर्फ आलोचना से रचनाकार या व्यक्ति हतोत्साहित हो सकता है, हो सकता है कि वो लिखना ही छोड़ दे या आलोचना करने वाले को नापसन्द कर उससे बात करना छोड़ दे और ऐसा हुआ भी है, व्हाट्सएप्प के ही किसी समूह में किसी कवि द्वारा एक रचना पर कटु आलोचना किये जाने पर वो इतना निराश हो गया कि रचनाकार ने समूह ही छोड़ दिया। ये स्थिति भी दुःखद है।

मेरे मतानुसार आलोचना की अपेक्षा समालोचना करना बेहतर है क्योंकि गुण के साथ-साथ दोष बताएं जाएं तो व्यक्ति या रचनाकार हतोत्साहित नहीं होता अपितु उत्साहित होकर बेहतर बनने का, बेहतर लिखने का व अपने दोषों को दूर करने का प्रयास करता है।

मानवीय स्वभाव भी है कि व्यक्ति अपनी गलती या दोष सरलता से स्वीकार नहीं करता किन्तु यदि उसकी अच्छाइयों की प्रशंसा कर कमियाँ बताई जाएं तो वो उसपर ध्यान भी देता है, समझना भी चाहता है और कमियाँ दूर करने का प्रयास भी करता है अतः मेरे अनुसार व्यक्ति को समालोचना अधिक संवारती है।

नीरजा मेहता

नीरजा मेहता

नाम-----नीरजा मेहता ( कमलिनी ) जन्मतिथि--- 24 दिसम्बर 1956 वर्तमान/स्थायी पता-- बी-201, सिक्का क्लासिक होम्स जी एच--249, कौशाम्बी गाज़ियाबाद (यू.पी.) पिन--201010 मोबाइल नंबर---9654258770 ई मेल---- [email protected] शिक्षा--- (i)एम.ए. हिंदी साहित्य (ii)एम.ए. संस्कृत साहित्य (iii) बी.एड (iv) एल एल.बी कार्यक्षेत्र-----रिटायर्ड शिक्षिका सम्प्रति-----लेखिका / कवयित्री प्रकाशन विवरण-- प्रकाशित एकल काव्य कृतियाँ-- (1) "मन दर्पण" (2) "नीरजा का आत्ममंथन" (3) "उमंग" (बाल काव्य संग्रह) प्रकाशित 23 साझा काव्य संग्रह---- क़दमों के निशान, सहोदरी सोपान 2, सहोदरी सोपान 3, भावों की हाला, कस्तूरी कंचन, दीपशिखा, शब्द कलश, भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ, भारत के प्रतिभाशाली हिंदी रचनाकार, काव्य अमृत, प्रेम काव्य सागर, शब्द गंगा, शब्द अनुराग, कचंगल में सीपियाँ, सत्यम प्रभात, शब्दों के रंग, पुष्पगंधा, शब्दों का प्याला, कुछ यूँ बोले अहसास, खनक आखर की, कश्ती में चाँद, काव्य गंगा, राष्ट्र भाषा हिन्दी सागर साहित्य पत्रिका। प्रकाशित 2 साझा कहानी संग्रह-- (1) अंतर्मन की खोज (2) सहोदरी कथा पत्र-पत्रिकायें--- देश विदेश के अनेकों पत्र- पत्रिकाओं व ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनायें। (शीघ्र प्रकाशित होने वाली संस्मरण पर आधारित एकल पुस्तक, 5 साझा काव्य संग्रह और 2 साझा कहानी संग्रह।) (3) सम्मान विवरण--- (1) साहित्य क्षेत्र में विभिन्न संस्थाओं /समूहों द्वारा कई बार सम्मानित---- काव्य मंजरी सम्मान, छंदमुक्त पाठशाला समूह द्वारा चार बार सम्मानित, छंदमुक्त अभिव्यक्ति मंच द्वारा पाँच बार सम्मानित, श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, साहित्यकार सम्मान ( दो बार प्राप्त हुआ ), भाषा सहोदरी हिंदी सम्मान (दो बार प्राप्त हुआ), साहित्य गौरव अलंकरण सम्मान, आगमन समूह द्वारा सम्मानित, माँ शारदे उत्कर्ष सम्मान , दीपशिखा सम्मान, शब्द कलश सम्मान, काव्य गौरव सम्मान (दो बार प्राप्त हुआ ), गायत्री साहित्य संस्थान द्वारा सम्मानित, नारी गौरव सम्मान, युग सुरभि सम्मान, शब्द शक्ति सम्मान, अमृत सम्मान, प्रतिभाशाली रचनाकार सम्मान, प्रेम सागर सम्मान, आगमन साहित्य सम्मान, श्रेष्ठ शब्द शिल्पी सम्मान, हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान, हिन्दी सागर सम्मान (संपादक सम्मान ), हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा सम्मानित। (2) उपाधि---काव्य साहित्य सरताज उपाधि ( ग्वालियर साहित्य कला परिषद {मध्य प्रदेश}द्वारा प्राप्त ) (3) विद्यालय से भी दो बार शिक्षक दिवस पर "बेस्ट टीचर अवार्ड" प्राप्त हुआ है। (1997 और 2008 में