कविता

जय गणपति

बोलो जय गणेश, जय गणपति,
नमन हे मेरे ज ती और सती,
स्नान के लिए बेठी माँ पार्वती,
इतने में वहा आ गए श्री ज ति,
गणेश ने रास्ता रोका,
न दिया उन्हे जाने का मौका,
जति बोले मेरा रास्ता न रोक,
गणेश की कटि शिवजी ने डॉक
दौड़ के आई माँ पार्वती
किस ने की मेरे लाल की दुर्गति
मैया ने कहा है शिव
मे दे दूंगी मेरा जीव
सेन्य को कहा जल्दी तुम जाओ
किसी का भी शीश काट कर लाओ
मिल गया उन्हे एक साथी
मस्ती में जा रहा था एक हाथी
शिर पे लगा के माटी
हाथी की शीश काटी
देवी अब न करो तुम चिंतन
गणेश को मिल गया है जीवन
शिवजी ने दिया एक वचन
प्रथम होगा गणेश पूजन
गुलाब चंद ने गणेश दोरिया
गणपति बापा मोरिया

गुलाब चंद पटेल

गुलाब चन्द पटेल

अनुवादक लेखक कवि व्यसन मुक्ति अभियान प्रणेता गुलाबचन्द पटेल गांधीनगर मो,9904480753 वेब. vysanmukti.webnode.com ईमेल [email protected]