दण्ड
पूरा मोहल्ला उनको पंडितजी कहता था, सब उनके पास जाकर सलाह लेते, उनको मान सम्मान देते। उनका रुतबा भी बहुत था। सीमा और उसका परिवार जब उस मोहल्ले में रहने गए तो अड़ोस पड़ोस के लोगों से पंडितजी के बारे में पता चला कि अभी 6 महीने पहले ही पंडितजी इस मोहल्ले में रहने आये हैं। सीमा ने सोचा कि ये निश्चय ही कोई महान पंडित होंगे जिसके कारण सब उनका नाम लेते हैं। उनके दर्शन से मैं भी पुण्य ले लूँ।
उनके दर्शन की इच्छा लिए सीमा ने पंडितजी के घर जाने का मन बनाया, तभी राधा अष्टमी पर पंडितजी के घर से पूरे मोहल्ले को पूजा में सम्मिलित होने के लिए निमंत्रण मिला। सीमा को मानो मन मांगी मुराद मिल गयी। राधा अष्टमी पर सबके साथ सीमा भी उनके घर चली गयी। वहाँ भजन कीर्तन चल रहा था, बहुत शांति मिली उसको। पूछने पर पता चला कि जो व्यक्ति सबसे आगे बैठे हैं वही पंडितजी हैं।
पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद गृहण कर सीमा पंडितजी से मिलने उनके पास गई। गोरे चिट्टे, सुंदर सजीले मध्यम आयु के व्यक्ति को देख सीमा को जरा भी ये आभास नहीं हुआ कि ये पंडित हैं क्योंकि उसके मन में जो पंडितों की छवि थी वो धोती कुर्ता पहने हुए और चोटीधारी जैसी थी किन्तु ये तो पैंट शर्ट पहने हुए थे। लोगों से पूछा तो पता चला कि पंडितजी इसी रूप में रहते हैं।
पंडितजी के परिवार से भी परिचय हुआ, उनकी पत्नी और बच्चों से सीमा मिली और धीरे-धीरे पण्डित जी की पत्नी से उसकी दोस्ती हो गयी। अक्सर उनके घर सीमा चली जाती और इसी तरह एक दिन बातों-बातों में पंडितजी की पत्नी ने बताया कि उनके पास 5 घर और 4 बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ हैं। सीमा ने सोचा शायद पंडितजी कहीं अच्छी जगह नौकरी करते होंगे पर जब उसको पता चला कि वो सिर्फ जगह-जगह प्रवचन ही देते हैं तो उसको बहुत आश्चर्य हुआ।
सीमा घर तो आ गयी किन्तु मन में संदेह का कीड़ा कुलबुलाने लगा। अगर उनके पास पाँच घर हैं तो दो कमरे के फ्लैट में क्यों रहते हैं। इसी तरह कुछ दिन बीत जाने पर एक दिन जब सीमा मोहल्ले की कुछ अन्य महिलाओं के साथ शाम को सैर कर रही थी, तभी पंडितजी किसी टैक्सी से उतरे और ड्राइवर को सामान ऊपर दूसरी मंजिल पर पहुंचाने के लिए कहने लगे, चूँकि सामान भारी था इसलिए टैक्सी ड्राइवर ने मना कर दिया। पंडितजी ने एक भद्दी सी गाली दी। एक पंडित के मुँह से ऐसे अपशब्द सुनकर सब स्तब्ध रह गए।
गाड़ी से स्वयं सामान उतारते हुए उनके हाथ से बड़ा सा कार्टन छूट गया और खुलकर गिर गया, सारा सामान बिखर गया जिसमें शराब की बोतलें, कुछ मूर्तियाँ और नकद रुपये थे। सब देखते रह गए, तभी वहाँ भीड़ इकट्ठी हो गयी। एक पंडित के घर में शराब, ये देख सब एक-दूसरे को आश्चर्यचकित हो देखने लगे। उनकी असलियत सामने आ गयी थी इसीलिए न किसी ने उनकी मदद की और न कोई कुछ बोला। उनको उनके ही हाल पर छोड़ सब अपने घर चले गये। उसके बाद से न कोई उनके घर कभी गया न उनसे बात की।
एक झूठे दिखावे ने जिन लोगों को उनके नज़दीक किया था, वहीं उनकी सच्चाई सामने आने पर सब उनसे दूर हो गए। उसी सप्ताह पंडितजी का परिवार रात के अँधेरे में सबसे मुँह चुराकर मोहल्ला छोड़कर चला गया। सब समझ चुके थे कि असलियत सामने आने पर ये इसी तरह घर बदलते होंगे। उनको पूरे मोहल्ले के सामने जिस अपमान को सहन करना पड़ा वो उनके लिए बहुत बड़ा दण्ड था तभी चुपचाप मोहल्ला छोड़कर चले गए।
— नीरजा मेहता