मुक्तक/दोहा

राम रहीम के असली रंग- दोहों के संग

बाबा ना,गुंडा लगे,अपराधी के रंग !
देखा असली ढंग तो,’शरद’ रह गया दंग !!
डेरा सच्चा है नहीं,लिये झूठ का रूप !
मारकाट,विध्वंस की,बांटी जिसने धूप !!
अपराधों की बाढ़ है,यौन कार्य में लिप्त !
ऐसा बाबा तो ‘शरद’,सचमुच में अभिसप्त !!
नायक बनकर झूमता,खलनायक से कर्म !
गुरुवर ना ,आचार्य ना,करता जो दुष्कर्म !!
अनुचर सारे मूर्ख हैं,मानें उसकी बात !
देशद्रोह जो कर रहे,मानवता पर घात !!
जय बोलो कानून की,जिसने रक्खी लाज !
सत्य,धर्म के पक्ष में ,जिसका ऊंचा काज !!
धर्म-नीति ना न्याय है,केवल है आनंद !
ऐसे बाबा की करो,शीघ्र दुकां अब बंद !
वैभव औ’ रंगीनियां,जिसका जीवन- सार !
उससे उल्टे काम के ,ही हरदम आसार !!
जो औरत की लाज को,कुचले बन हैवान !
किंचित भी उस दैत्य का,क्योंकर हो सम्मान !!
पांच राज्य आतंकमय,जनजीवन पर गाज !
डेरावाले कर रहे,घायल सकल समाज !!
हैं कलंक औ’ कोढ़ भी,जो हैं ऐसे संत !
कब होगा इनका ‘शरद’ ,इस धरती से अंत !!
प्रो. शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]