धर्म और राजनीति
धर्म और राजनीति
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जब धर्म और राजनीति आपस में मिल जाते हैं
तब मानवता के आशियाने जलाये जाते हैं |
कानून लोटता है ढोंग के चरणों में,
तब आतंक के बादल खूब बरसते हैं |
सदियों पुराना वो इतिहास गवा है
स्वार्थ में एकलव्यों के अँगूठे दक्षिणा में लिए जाते हैं |
कुर्सी की खातिर बसे – बसाये नगर उजाड़े जाते हैं
नेताओं के द्वारा जलती चिताओं पर फुलके सेके जाते हैं |
जब अंधभक्ती के सागर अंधे होकर हिलोरे लेते हैं
तब बाबाओं के दरबारों में अय्याशी के रास रचाये जाते हैं ||
__ मुकेश कुमार ‘ ऋषि वर्मा ‘
गॉव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद-आगरा, 283111
सुन्दर रचना !!!