दोहा मुक्तक
“दोहा मुक्तक”
अमिय सुधा पीयूष शिव, अमृत भगवत नाम
सोम ब्योम साकार चित, भोले भाव प्रणाम
मीठी वाणी मन खुशी, पेय गेय रसपान
विष रस मुर्छित छावनी, सबसे रिश्ता राम।।-1
अमृत महिमा जान के, विष क्योकर मन घोल
गरल मधुर होता नहीं, सहज नहीं कटु बोल
तामस पावक खर मिले, लोहा लिपटे राख
उपजाएँ घर घर कलह, निंदा कपट कुबोल।।-2
महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी