कविता

यशोदा छंद

विधान~ [ जगण गुरु गुरु ] (121 2 2) 5 वर्ण,4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत…….ॐ जय माँ शारदे……!
“यशोदा छंद”

पढ़ी पढ़ाई
भली भलाई।
कहा न मानो
करो त जानो।।-1

लगी लगाई
हल्दी सुहाई।
छटा निराली
खुशी मिताली।।-2

नई नवेली
वहू अकेली।
सुई चुभाए
दिल घबराए।।-३

उगी हवेली
नई चमेली।
अनार छाए
सितार गाए।।-4

पकी पकाई
मिली मलाई।
जिह्वा भाए
नेह बढ़ाए।।-5

महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ