वतन
उस वक़्त का इन्तजार है जब वतन में खुशहाली होगी,
पतझर हो या सावन, हर मौसम हरियाली होगी,
न दिन में तपन होगी,न रात काली होगी,
हर दिन होली हर रात दिवाली होगी।
हर दिल में देश का,इस चमन का सम्मान होगा,
जहां भर की इबारतों में हिन्दोस्तां का नाम होगा,
सोने चांदी के ख़्वाब न देखे है, न देखेंगे,
गरीबी का हिन्द से काम बस तमाम होगा।
उस वक़्त का इन्तजार है जब हर चेहरे पर लाली होगी,
भूख मिटाने की खातिर किसी की जेब न खाली होगी,
न दिन में तपन होगी, न रात काली होगी,
हर दिन होली हर रात दिवाली होगी।