कविता

दर्द की दास्तां

शांत,
व्यवस्थित,
योजनाबद्ध शहर ।
लिए आगोश में,
प्राकृतिक नजारे।
कल तक था मैं…
इक स्मार्ट शहर ॥

आज …
नफ़रत की
आग में झुलसा,
रोता-बिखलता,
तहस-नहस,
सीने पे लिए
खून के छींटे,
इंसाफ की चाह में,
पहचानो मुझे …
कौन सा शहर हूँ मैं?

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed