यशोदा छंद
विधान~ [ जगण गुरु गुरु ] (121 2 2) 5 वर्ण,4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत…….ॐ जय माँ शारदे……!
“यशोदा छंद”
पढ़ी पढ़ाई
भली भलाई।
कहा न मानो
करो त जानो।।-1
लगी लगाई
हल्दी सुहाई।
छटा निराली
खुशी मिताली।।-2
नई नवेली
वहू अकेली।
सुई चुभाए
दिल घबराए।।-३
उगी हवेली
नई चमेली।
अनार छाए
सितार गाए।।-4
पकी पकाई
मिली मलाई।
जिह्वा भाए
नेह बढ़ाए।।-5
महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी