मुक्तक/दोहा

मुक्तक

(शीर्षक— अचल, अटल, अडिग, अविचल, स्थिर, दृढ़ आदि समानार्थक शब्द (मापनी- 1222, 1222, 1222, 1222

अटल मेरा विश्वास हुआ तुम्हें निरखकर रे साथी
अविचल अडिग कभी न हुआ तुम्हें लिपटकर रे साथी
यही है जीत अफसाना लिए चलते नयन तके नजारों को
स्थिर अचल चाल यह मेरी तुम्हें समझकर रे साथी।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ