मुक्तक
(शीर्षक— अचल, अटल, अडिग, अविचल, स्थिर, दृढ़ आदि समानार्थक शब्द (मापनी- 1222, 1222, 1222, 1222
अटल मेरा विश्वास हुआ तुम्हें निरखकर रे साथी
अविचल अडिग कभी न हुआ तुम्हें लिपटकर रे साथी
यही है जीत अफसाना लिए चलते नयन तके नजारों को
स्थिर अचल चाल यह मेरी तुम्हें समझकर रे साथी।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी