रावण
काम वो शैतान ऐसा कर गया।
नाम फिर बदनाम सारा कर गया।।
राम का धर वेश रावण आ गया।
काम वो हैवानियत का कर गया।।
क्या किया इंसानियत के नाम पर।
जुर्म का व्यापार कैसा कर गया।।
कब तलक नारी सहेगी जुल्म ये।
पाप काली को बुलावा कर गया।।
छल कपट करता रहा पापी सदा।
रहनुमा बन कर छलावा कर गया।।