कविता : आत्मदीप
मेरे पास और कुछ हो न हो
एक दीप है जो प्रज्वलित है
आत्मा की ऊष्मा से
जो आलोकित है
ईश्वरीय प्रकाश से
ये दीप मुझे प्रसन्न रखता है
ये दीप मुझे उजास प्रदान करता है
ये दीप मुझे आह्लादित करता है
विश्वास जगाता है
एक नई और अजीब दुनिया का
सामना करने का
आओ आओ तुम भी लेलो
थोड़ा प्रकाश इस दीप से
जो प्रज्वलित है युगों युगों से
— विकास कुमार शर्मा