कविता

कविता : आत्मदीप

मेरे पास और कुछ हो न हो
एक दीप है जो प्रज्वलित है
आत्मा की ऊष्मा से
जो आलोकित है
ईश्वरीय प्रकाश से
ये दीप मुझे प्रसन्न रखता है
ये दीप मुझे उजास प्रदान करता है
ये दीप मुझे आह्लादित करता है
विश्वास जगाता है
एक नई और अजीब दुनिया का
सामना करने का
आओ आओ तुम भी लेलो
थोड़ा प्रकाश इस दीप से
जो प्रज्वलित है युगों युगों से

विकास कुमार शर्मा

विकास कुमार शर्मा

पुत्र- स्व. श्री भगवान सहाय शर्मा माताजी का नाम - श्रीमती सरस्वती देवी शर्मा जन्म तिथि- 24 अक्टूबर 1982 शैक्षिक योग्यता - एम.ए.(हिंदी) , बी.एड. एम.ए.(शिक्षा) साहित्यिक गतिविधियां सन 2003 में जयपुर दूरदर्शन के कल्याणी कार्यक्रम में प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ स्लोगन रचनाकार के रूप में सम्मानित । सन 2015 में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति जुबिन इरानी द्वारा सी.बी.एस. ई. के हिंदी विषय के सर्वश्रेष्ठ परीक्षा परिणाम हेतु सम्मानित । अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित पता- 35/338 , शिवपुरी - बी गंगापुर सिटी, जिला -सवाईमाधोपुर ,राजस्थान-322201 फोन-07665150750 [email protected]