क्षणिका
तृण सी चुभे…
नव पीढ़ी को ।
असमर्थ और वो निर्बल काया ।
सपने संजो कर…
जोड़ के पाई
जिसने था कभी
आशियां सजाया ! !
अंजु गुप्ता
तृण सी चुभे…
नव पीढ़ी को ।
असमर्थ और वो निर्बल काया ।
सपने संजो कर…
जोड़ के पाई
जिसने था कभी
आशियां सजाया ! !
अंजु गुप्ता