वो शिक्षक ही होता है जो हमें बोलना सिखाता है।
जो ऊँगली पकड़ कर हमारी हमें चलना सिखाता है।
वो शिक्षक ही होता है जो हाथ पकड़ कर लिखना सिखाता है।
वो शिक्षक ही होता है जो हमें देख कर परखना सिखाता है।
वो हमें हर एक अक्षर का ज्ञान और हर एक शब्द का अर्थ समझाता है।
वो शिक्षक ही होता है जिसका ज्ञान दुखों के भवसागर से पार लगाता है।
वो शिक्षक ही होता है जो हमें जीवन जीना सिखाता है।
वो शिक्षक ही होता है जो हमें क्रोध को पीना सिखाता है।
ज्ञान की ज्योति से वो हमारे मन मन्दिर को आलोकित करता है।
माँ जीवन देती है, पिता रक्षा करता है पर शिक्षक जीवन में रंग भरता है।
वो शिक्षक ही होता है जो एक इंसान को इंसान बनाता है।
वो शिक्षक ही होता है जो खुली आँखों से भगवान दिखाता है।
वो शिक्षक ही होता है जिसकी दिखाई राह पर चलकर हम लक्ष्य को पाते हैं।
वो शिक्षक ही होता है जिसके ज्ञान के कारण हम सफलता की सीढियाँ चढ़ते जाते हैं।
इस दुनिया में शिक्षक को शब्दों के दायरे में नहीं बाँधा जा सकता है।
“सुलक्षणा” वो शिक्षक ही होता है जो ज्ञान की बातें लिखता है।
— डॉ सुलक्षणा