“सत्यमेव जयते”
तुमको शत्-शत् मेरा प्रणाम।
श्रद्धा-सुमन समर्पित तुमको,
जग में अमर तुम्हारा नाम।।
हे व्रतधारी-संयमी तुम्हारी,
महिमा को हम गाते हैं।
राजनीति-पटु,महा-आत्मा,
तुमको शीश नवाते हैं।।
भारत में तुम रमे हुए,
जैसे काशी और काबा हैं।
जन,गण,मन में अपने,
अब भी बसते गांधी बाबा हैं।।
शस्त्र अहिंसा का लेकर,
तुमने अंग्रेज भगाया था।
शान्ति पताका लेकर कर में,
भारत मुक्त कराया था।।
छुआ-छूत का भूत भगा,
चरखे का चक्र चलाया था।
सत्यमेव जयते का सबको,
पावन पाठ पढ़ाया था।।
आदर और श्रद्धा से लेते,
सब अपने बापू का नाम।
भक्ति-भाव से मिलकर बोलो,
रघुपति राघव राजा राम।।
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)