तुम्हारे और मेरे बीच
तुम्हारे और मेरे बीच
कोई रिश्ता तो नही
फिर भी न जाने क्यो
तुम्हारे प्रति मेरे मन मे
अहसास होता है
मिलने पर एक अलग
पहचान होता है
न ही तुम मेरा प्यार हो
न ही तुमसे कोई रिश्ता का बंधन
फिर भी तुम अपना सा लगते हो
हर समय मेरा ख्याल रखते हो
यही मुझे अच्छा लगता है
बिना किसी बंधन
बिना किसी शोर
जब दो मिलते है
तो खुदा भी सलामत रखने का
वादा करता है।
निवेदिता चतुर्वेदी’निव्या’