लघुकथा – राहत
माँ बेटी रोशनी को बाजार से सामान खरीदने को साथ ले गई | माँ राशन का सामान लेने लगी ,बेटी किताबे और कापियां देख उल्ट-पलट करने लगी | माँ ने डाटा ,”तू ज़ल्दी कर! तुझे इन किताबो से क्या लेना देना, लोगो के घर में काम करना हैं |तुम झाड़ू लगाना ,मैं वर्तन कर लुंगी |काम ज़ल्दी खत्म कर घर चलेंगे |”
बेटी रोशनी ,”माँ आंगन बाड़ी की मैडम मुझे मुफ्त में किताबें और कापी कल दे देंगी |” माँ घूर के बोली ,” तू खाना खाने जाती हैं या पढाई करने, हमारे काम जरूरी हैं |कलम पकड़ के तू क्या करेंगी ?”
बेटी रोशनी ,”नौकरी करके तुझे राहत, झूठन सफाई से निज़ात |”
— रेखा मोहन ७/९ /२०१७