कविता

गंदे अंकल

अब मत करो तैयार सुबह,
मम्मी हम स्कूल न जायेंगे।
रहते वहां पर गंदे अंकल,
जो मुझको बहुत सतायेगें।।

भाई के जैसा मित्र प्रद्युम्न,
जिसका खूनी खेल हुआ।
ग्रीवा काट दिया चाकू से,
बदनियती में फेल हुआ।।

कल कोई मुझको पकड़ेगा,
बांहों में कस कर जकड़ेगा।
बात न मानू जब उसकी,
मां गर्दन पर चाकू रगड़ेगा।।

मां तू सोई थी मैं जाग रही,
डर-डर कर रातें काट रही।
गंदे अंकल नजर भयानक,
लगता था जैसे ताक रही।।

मां लड़का नहीं बचा उनसे,
मैं प्यारी फूल सी गुड़िया हूं।
उनसे बचना तो मुश्किल है,
मां तेरी ही तो गुड़िया हूं।।

हैवान वहीं पर पकड़ेगा,
मुझको बांहों में जकड़ेगा।
मैं प्रतिरोध करुंगी उसका,
कामातुर भेड़िया मसलेगा।।

मां सजल नेत्र से धो पीड़ा,
फिर गले लगा बोली “वीणा”
ना डर कर जी तू कुकर्मी से,
इनसे लड़ने का उठा बीड़ा।।

तू लड़की है पर दुर्गा बन,
चण्डी स्वरूप कन्या बन।
तू शीतल है, तू प्रेममयी,
ना डरकर जी, युगदृष्टा बन।।

तू आंख मिलाकर चल उनसे,
ना कोई कमी तुझमें उनसे।
निर्भय रहना, रह सावधान,
तू शक्ती है, ना डर उनसे।।

प्रदीप कुमार तिवारी
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं