गीत/नवगीत

गीत

दोपहरी अलसाई सी है, सो सो जाती है ।

दाँव छाँव के देख धूप भी, नजर चुराती है ।।

 

चाँद सलोना, छत पर आकर देता है ताने ,

मैंने कैसे , मृग नैनी को दिया रात जाने ।

यह पीड़ा मन आँगन में दिन रात सताती है…..

दोपहरी……….।।

 

बोझिल कन्धे ,स्वप्न उठाये फिरते हैं मारे,

किन्तु भाग्य की, अनदेखी से ये सदैव हारे ।

नियति नटी भी दूर खड़ी होकर मुस्काती है….

दोपहरी………..।।

 

नहीं सूझते, राग सुरीले मन सैलानी को ।

नदी स्वयँ, पी गयी रात पोखर के पानी को ।

हृदय सिंधु की, धार अचानक उभरा आती है…..

दोपहरी……….।।

 

जीवन बेल, हरित है फिर भी रहती मुरझाई  ।

हृदय सिंधु में, रहती सूखी स्वप्निल अमराई ।

धड़कन केवल काल चक्र का  मन बहलाती है….

दोपहरी……….।।

 

राहुल द्विवेदी ‘स्मित’

8299494619

राहुल द्विवेदी 'स्मित'

राहुल द्विवेदी 'स्मित' (अध्यापक-डी.पी.एस. एकैडमी) पिता: महेश प्रसाद द्विवेदी पता: ग्राम-करौंदी पोस्ट-इटौंजा जनपद-लखनऊ उत्तर प्रदेश (226203) जन्मतिथि: मई 20, 1987 मोबाइल: 8299494619 शैक्षिक योग्यता : बी.काम., बी.एड. साहित्यिक परिचय: प्रकाशित कृतियाँ- साझा संकलन ('कविता लोक-प्रथम उद्भाष' , 'तेरी यादें' व कई अन्य साझा संकलन प्रकाशनाधीन ) कई पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित सम्मान: 'कविता लोक रत्न सम्मान', 'स्व. इन्द्रदेव सिंह सम्मान', 'गीतिकालोक रत्न', 'काव्य श्री', 'श्रेष्ठ ग़ज़लकार सम्मान' व कई अन्य विभिन्न फेसबुक समूहों द्वारा ऑन लाइन सम्मान व पुरुस्कार