महिलाओं का सम्मान महज एक राजनीतिक दांव
अपने देश में जितनी भी सरकारें बनी सभी ने महिलाओं के सम्मान के प्रति लंबा चौडा भाषण दिया चाहे वह सामाजवादी की सरकार हो या फिर भारतीय जनता पार्टी की। महिलाओं से संबन्धित सुरक्षा की कई प्रकार की योजनाओं का शुभारम्भ किया गया यहां तक उत्तर प्रदेश में महिला हेल्प लाईन 1090, तथा महिला आयोग, महिला थाना आदि प्रकार की सुविधाओं से महिलाओं को मजबूत बनानें का खूबसूरत दिखावा किया गया। लेकिन कौन सी सुविधा प्रभावी है यह तो एक महिला ही जानती होगी।
बात करते हैं हम अंध विश्वास की अगर पूरानें जामानें से आज के जामानें के साधुओं का मिलान किया जाये तो एकदम बिपरीत मिल रहा है। पूराने जामानें में संत समाज से जितना विरक्त व समाज से दूर रहता था वह उतना बडा सन्यासी माना जाता था। किन्तु आज के आधुनिक दौर में जो संत जितना धन सम्पन्न और वैभवशाली होता है वह उतना बडा ही संत माना जाता है। हलांक इन साधुओं की एक – एक परत जनता के सामने नजर आ रही है इनकी क्या सच्चाई है धीरे – धीरे सभी को मालूम हो रहा है।
सर्व प्रथम बापू आशाराम को काले कारनामों का पर्दा फास हुआ जिसकी हकीकत पूरी देश ने जान ली इनको अर्श से फर्श तक पहुंचानें में एक शाहारनपुर की महिला का बहुत बडा योगदान रहा है प्रश्न यह है कि ढोगी बाबा का पर्दा फास करनें वाली महिला को देश के प्रधानमंत्री या प्रदेश के मुख्यमंत्री, या उसके विधान सभा के किसी विधायक ने जाकर उस महिला को बधाई नही दी होगी क्या अपने देश में कोई महिला मंत्री नही है क्या उनको उस महिला के घर जाकर हौंसले को नही बढाना चाहिए और महिला को धन्यवाद नही अदा करना चाहिए कि आज समाज मैं फैली हुई बुराई को बेनकाब किया है, जिससे हम महिलाओं को आप पर नाज है। कहीं पर कोई घटना हो जाती है तो पक्ष व विपक्षी दोनों उस गांव में जाकर अपनी जोर अजमाईश करना शुरू कर देते है तहर तरह के प्रलोभन देने का सिलसिला शुरू हो जाता है और एक दूसरे की बुराई करने लगते है क्योंकि वह राजनीति है,
ठीक उसी प्रकार हाल ही में रामरहीम बाबा को बेनकाब करनें में महिला का बहुत बडा योगदान रहा है समाज में बाबा के चोला पहने जो भेंडिया बाहर शान से कानून को ढंेंगा दिखा रहा था और अपने को बहुत बडा संत कह रहा था आज उसके हाथ खून से रंगे नजर आ रहा है और न जाने कितने अपराध प्याज के छिलको की तरह परत दर परत खुलते जा रहे है और दुनिया बाबा की सच्चाई से रूबरू हो रही।
ऐसी साहसी माताओं बहनों पर हमें नाज है कि उन्होने बुराइयों से लडाई की और अपना अंजाम सोंचे बिना बुराई को जड से उखाड का फेंक देनें का संकल्प ले लिया और वह अपने मकसद मंे कामयाब हुई। इस प्रकार की महिलाओं को दुनियां में सबके सामने सम्मान करना चाहिए देश प्रधानमंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री को ऐसी महिलाओं के घर जा कर उनको धन्यवाद देना चाहिए कि आज समाज के उस नासूर को चीरा है जो धीरे धीरे पूरी दुनियां पर कायम होने का हौंसला रखता था किन्तु शर्म इस बात की है कि महिला के साथ हुई दुर्व्यवहार को अदालत में साबित करना पड़ता है फिर उसको न्याय मिलता है सम्मान नही। जबकि इस प्रकार की महिलायेें न्याय और सम्मान दोनों की हकदार होती है।
राजकुमार तिवारी (राज)