लेख
हममें से ज्यादातर लोगों को ये शिकायत रहती है कि इस संसार में मैं ही दुखी हूँ। बाकी सब लोग हमें सदा ही प्रसन्न दिखाई देते हैं। हम किसी की ओर देख रहे हैं तो वो किसी अन्य की ओर दृष्टिपात कर रहा है। इससे हम सबके अंदर एक हीन भावना घर कर जाती है कि अन्य व्यक्ति हमसे ज्यादा योग्य हैं या हमसे ज्यादा भाग्यशाली हैं। हमेशा याद रखिए कि ईश्वर ने आपको अपने हाथों से बनाया है। जितना महान कलाकार होता है उसकी कलाकृति भी उतनी ही महान और श्रेष्ठ होती है और आप तो सर्वश्रेष्ठ कलाकार की कृति हैं इसलिए आप स्वतः ही सर्वश्रेष्ठ हैं। आप में कोई भी कमी नहीं है। ये जितनी कमियां आप देख रहे हैं वो सब बाहर की धूल मिट्टी है जिन्होंने इस महान कृति को ढक दिया है। बस उसे झाड़ दीजिए तो अंदर से आपका चमचमाता व्यक्तित्व अपने आप बाहर आ जाएगा। सफल और असफल, प्रसन्न और अप्रसन्न व्यक्तियों में अंतर केवल प्रयास का है। हम में से प्रत्येक जीवन के शिखर को छू सकता है और वस्तुतः हमारा जन्म ही इसीलिए हुआ है। अगर आप किसी भी कार्य को अपना सौ प्रतिशत देंगे तो आपको परिणाम भी सौ प्रतिशत ही मिलेगा।
— भरत मल्होत्रा