अनमोल तोहफ़ा
सम्मान खरीदने की औकात नहीं मेरी
हर साल आते हैं
ढ़ेर सारे
सूचना पत्र
मेरे पास |
इकट्ठा हो गये हैं
मेरी रद्दी की टोकरी में
दस – बीस नहीं
सैकड़ों की संख्या में……
धन नहीं / जुगाड़ नहीं / समय नहीं
और सम्मान प्राप्ति का मुझे शऊर भी नहीं….!
वैसे सच कहूं
भूख तो है
पर खरीदने की नहीं /
जुगाड़ से प्राप्ति की नहीं….
हाँ अगर
मिल जाये
सिर्फ एक कागज का टुकडा
मेरी साहित्यिक, कलात्मक, सांस्कृतिक
निस्वार्थ सेवा के लिए
प्रेम से, पूर्णतः निस्वार्थभाव से
तो वह कागज का टुकडा
फिर मेरे लिए टुकड़ा नहीं रहता
बन जाता है –
अनमोल तोहफ़ा… |
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
गॉव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद-आगरा, 283111