राजनीति

देश हम सबका है लेकिन…

निश्चित तौर पर यह देश जितना हिदुओ का है उतना ही मुसलमानों, सिक्खों, इसाइयों और बौद्धों का भी है लेकिन उनका बिलकुल नहीं है जिनका जाती मजहब और लोभ देश से भी बड़ा है और जो वोट को हथियार बनाकर राष्ट्र के सामाजिक ताने बाने के साथ खिलवाड़ कर रहे है और देश के सभी संसाधनों पर विशेष अधिकार चाहते है. ऐसे लोगो से निबटने का काम केवल सरकार का नहीं है , ऐसे लोगो से निबटने के लिए अपने सारे तुच्छ स्वार्थो को त्याग कर जन जन को आगे आना पडेगा और देश की समृद्धि के लिए सरकारी भिक्षा को त्यागकर अपने श्रम कौशल से आत्मनिर्भर बनाना पडेगा. जिस श्रम कार की कभी दुनिया भर में धाक थी उसे कांग्रेसी ६५ साल में अनुदान का मोहताज बना दिया. चूँकि अब परिस्थितिया बदल रही है इसलिए कांग्रेस का बौखलाना और बे शिर पैर की बात करना स्वाभाविक है.
कैसे कैसे बहाने बनाए जा रहे है. कन्हैया को दलित से जोड़ दिया जाता है तो पत्थरबाज काश्मिरियो को अल्पसंख्यक से. समझ में नहीं आता की अगर इ कांग्रेसी १०० साल शासन करते तो शायद हर नागरिक के लिए अलग अलग कानून बना देते. अभी अभी एक पत्रकार गौरी लंकेश की ह्त्या हुई है और संजोग से वह कांग्रेस शासित राज्य में हुई है लेकिन कांग्रेस के संभावित प्र म बिना समय गवाए महज आधे घंटे में ही फैसला दे दिए. सवाल उठाता है की अगर गौरी की ह्त्या संघ विचार धारा के लोगो द्वारा किया गया है तो चार हजार सिक्खों की ह्त्या किस विचार धारा के लोगो ने की थी. स्वयं इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की ह्त्या किस विचार धारा के लोगो ने किया था. विचार धारा बड़ा ब्यापक शब्द है उसका इतना संकुचित उपयोग नहीं होना चाहिए. बस डर लगता है की जिस प्रकार सारे कांग्रेसी एक बिना विचार वाले को भावी प्र म बनाने पर तुले हुए है और देश में लोभी मतदाताओं का एक बहुत बड़ा वर्ग विद्यमान है , कही सत्ता इनके हाथ में चली गई तो फिर देश को उत्तर कोरिया बनने से कोई नहीं रोक पायेगा.

— राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

रिटायर्ड उत्तर प्रदेश परिवहन निगम वाराणसी शिक्षा इंटरमीडिएट यू पी बोर्ड मोबाइल न. 9936759104

2 thoughts on “देश हम सबका है लेकिन…

  • राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

    बड़बोलो पर लगाम कसना ही होगा बरना मोदी का सारा सपना धरा का धरा रह जाएगा /

  • राजकुमार कांदु

    आदरनिय पांडेयजी ! देश के वर्तमान हालात पर आपका चिंतन स्वाभाविक व वाजिब है । आपने सही कहा देश सभी का है लेकिन जो खुद को देश से ऊपर समझे ऐसे लोगों की यहां कोई जगह नहीं होना चाहिए । विपक्ष अपनी कारगुजारियों का फल भुगत रहा है लेकिन जाती व धर्म के नाम पर सामाजिक सद्भाव व शांति को अशांति में बदलने का प्रयास करनेवाले कुछ मतिमंद सत्ताधारी नेताओं के वक्तव्यों के बारे में आपका क्या ख्याल है ? अगर भा ज पा सही मायने में सफल होना चाहती है तो उसे अपने ऐसे नादान दोस्तों से खुद ही निबटना पड़ेगा और तभी देश का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है । बड़बोलेपन से इनका अहित ही होगा इसका ध्यान रखा जाना चाहिए । सुंदर विचार करने योग्य लेख के लिए आपका धन्यवाद ।

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