नयन कमल
तेरे नयन कमल जैसे हैंं ।
तेरे अधर लुभाते मन को ।
तेरे बोल डिगाते मन को ।
प्रेम पंथ अमृत है प्यारी ,
रीति रिवाज गरल जैसे हैं।
तेरे नयन………………..
तुम हो सावन की पुरवाई ।
या फिर बौराई अमराई ।
अलंकार है तू गीतों का ,
तेरे बोल गजल जैसे हैं ।
तेरे नयन ……………..
बतलाओ तुम कब आओगे ?
मेरी साँसे महकाओगे ?
जब यादोंं की बिजली कौंधी ,
नयन हुए,विह्वल जैसे हैं ।
तेरे नयन …………………..
-डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी