मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

शीर्षक— तम, तिमिर, अंधकार, अंधियारा, तमस आदि समानांतर शब्द)

अंधेरों ने कब कहा, दे दो मुझको दाद।

बैठो मेरे संग तुम, होकर के बरबाद।

इसी लिए तो दिन बना, और बनी मैं रात-

लगी आँख पिय आप की, हुई निशा आबाद।।-1

तिमिर तमस तम जब बढ़ा, हुआ धुप्प अँधकार।

अँधियारों को तजे, उदय किरण आकार।

इक दूजे के साथ में, अपने मन की राग-

मंशा दोनों का मिलन, प्रकृति प्रेम उपहार।।-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ