कविता

सौ नं. की सेवा

सौ नं. की सेवा
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बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए
सरकार ने शुरू की
सौ नं. की सेवा
ताकि –
लूट – खसौट, खून – खरावा,
राहजनी, अपहरण, वलात्कार,
छैडखानी, मार – पीट
जैसे अपराधों को रोका जा सके |

सरकार की इस समाजोपयोगी / राष्ट्रोपयोगी
सेवा का लाभ शुरू – शुरू में जनता ने खूब उठाया
अपराधों का हो गया था सफाया |
खाकी ने भी खूब ईमानदारी से अपना फर्ज निभाया ||

परन्तु अब इस सेवा को
ग्रहण – सा लग रहा है |
सौ नं. का मजाक बन रहा है ||

बच्चे खेल – खेल में लड़ जायें तो
परिजन सौ नं. लगा देते हैं
पति – पत्नी की आपसी नोंक – झोंक में,
पत्नी तुरन्त सौ नं. डायल कर देती है
घरेली हिंसा में पुलिस बुला लेती है |
मामूली से आपसी विवाद में,
सौ नं. की सेवा तुरन्त मिल जाती है
फिर पॉच हजार में सुलह हो जाती है….
ठण्डी पड़ी सरकारी जेब गरम हो जाती है ||

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
गॉव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद-आगरा 283111

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111