सौ नं. की सेवा
सौ नं. की सेवा
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बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए
सरकार ने शुरू की
सौ नं. की सेवा
ताकि –
लूट – खसौट, खून – खरावा,
राहजनी, अपहरण, वलात्कार,
छैडखानी, मार – पीट
जैसे अपराधों को रोका जा सके |
सरकार की इस समाजोपयोगी / राष्ट्रोपयोगी
सेवा का लाभ शुरू – शुरू में जनता ने खूब उठाया
अपराधों का हो गया था सफाया |
खाकी ने भी खूब ईमानदारी से अपना फर्ज निभाया ||
परन्तु अब इस सेवा को
ग्रहण – सा लग रहा है |
सौ नं. का मजाक बन रहा है ||
बच्चे खेल – खेल में लड़ जायें तो
परिजन सौ नं. लगा देते हैं
पति – पत्नी की आपसी नोंक – झोंक में,
पत्नी तुरन्त सौ नं. डायल कर देती है
घरेली हिंसा में पुलिस बुला लेती है |
मामूली से आपसी विवाद में,
सौ नं. की सेवा तुरन्त मिल जाती है
फिर पॉच हजार में सुलह हो जाती है….
ठण्डी पड़ी सरकारी जेब गरम हो जाती है ||
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
गॉव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद-आगरा 283111