नया निर्माण
नया-नया निर्माण हो अपना, विश्व नया इक सुंदर हो
ग़ैर न जिसमें कोई लगता, वैर न किसके मन में हो-
बहुत बनाए हमने पुल जो, नदियों को ही जोड़ सकें,
बहुत बनाए ऐसे रस्ते, जो गांवों को जोड़ सकें,
मेल दिलों का जो कर पाएं, ऐसे पुल अब निर्मित हों,
ग़ैर न जिसमें कोई लगता, वैर न किसके मन में हो-
रेल-जहाज चले बहुतेरे, वायुयान भी बहुत उड़े,
धरती से मन ऊब गया तो, चंदा पर भी बढ़े-चढ़े,
मन की दूरी खत्म हो सके, ऐसी कोशिश हो हरदम,
ग़ैर न जिसमें कोई लगता, वैर न किसके मन में हो-
पर्वत का दिल दहला सकते, ऐसे शस्त्र बना डाले,
सागर का दिल सकें जो, ऐसे उपकरण बनाडाले,
अब ऐसा कौशल दिखलाएं, सबका जीवन मधुरिम हो,
ग़ैर न जिसमें कोई लगता, वैर न किसके मन में हो-
— लीला तिवानी
लगभग तीस साल पहले हमने ”बाल काव्य सौरभ” नामक पुस्तक लिखी थी, जिसमें 81 गीत हैं. ये गीत उन दिनों भी हमारे छात्र-छात्राओं में बहुत लोकप्रिय थे. समसामयिक होने के साथ ही, बहुत से गीत पुरस्कृत भी हुए. उन्हीं में से यह गीत हम जब आपके लिए लिखने लगे, तो हमें लगा कि यह तो मेक इन इंडिया का गीत है. लीजिए आप भी रसास्वादन कीजिए.