मदारी
कौन है मदारी ?
सवाल चुभने वाला है
देखो कौन-कौन यहां सुनने वाला है !
जनता हर बार बनती बंदर है
जो नचा दे अच्छी तरह
वो नेता बन जाता सिकंदर है
देखा होगा बहुत सारे
नाचते-नाचते दम तोड़ देते हैं
मगर नेता व्यस्त हैं भीड़ इकट्ठी करने में
उनको उसी दशा में छोड़ देते हैं
दूर से देखूं तो ! जनता
उनके कंधे पर बैठी नजर आती है
मगर मदारी के पास एक “छड़ी”है
पांच साल तक
जो जनता को इशारों पर नचाती है
बंदर दिखाते हैं करतब सारा दिन
बेशक जान ना उनके बदन में हो
मदारी खाने को देता है बस वही
जो उस वक्त उसके मन में हो
“छड़ी” की मार से कई दफा
बंदर हिंसक हो जाते हैं
टुकड़े खिला दिये जाते हैं,कुछ को
मुद्दे कहीँ क्षितिज पर खो जाते हैं
बंदरों को बांट रखा है धर्मों में
ताकि एक-दूसरे पर पत्थर फैंकते रहें
मदारियों का फायदा हो
और राजनिति की रोटी सैंकते रहें
एक संसद लगती मदारियों की
जहाँ पर जनता का कानून बनाया जाता है
गरीब,पिछड़ा,मजदूर, मजबूर का स्थान नहीं
बस पूंजिपतियों को लुभाया जाता है
समझ गये होगे आप अब
संसद की दिवारें क्यूँ मौन हैं?
ये मदारी कौन है?
ये मदारी कौन है?