गज़ल
अब चमन नया बनाएँगे
फूल न यहाँ मुरझाएँगे|
सच को थामे जग में ही
भ्रम को सब हटाएँगे |
सात रंगो की ले चाहत
खिलते लव मुसकाएँगे|
जब मुश्किल की आहट हो
पीछे हट ना पाएँगे|
सब एक स्वर ले आएँगे
गाना गा बहलाएँगे|
रेखा बढते जाएंगे
भर दम गम भूलाएँगे|
— रेखा ९/८/२०१७
लाजवाब !
शुक्रिया आदरणीया आपका .