ग़ज़ल
मुझे इस वक्त ने ही वक्त का मारा बना दिया
जीतने की तमन्ना ने हमें हारा बना दिया।
हर किसी की है नज़र मुझपर हमदर्दी भरी
मेरे हालातों ने यूं मुझको बेचारा बना दिया।
दर बदर ढूँढ़ रहे हम तेरी उल्फत का नशा
तुम्हारी जुस्तजू ने मुझको बंजारा बना दिया ।
लोग कहने लगे हैं हमको तमाशाई सुनो
हर नज़र हमपे टिकी वो नजारा बना दिया ।
कोई मुकाम ठहरने ही नहीँ देता है मुझे
जाने किस चाह ने हमको आवारा बना दिया।
होके बदनाम मेरा नाम हुआ है रोशन
मेंरी बर्बादियों ने ‘जानिब’ सितारा बना दिया ।
— पावनी दीक्षित ‘जानिब’
अच्छी गज़ल