गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

2122 2122 212
आपका शिकवा पुराना हो गया
आज मौसम भी सुहाना हो गया |
महज खोजें जो खुशी अब ले बढ़े
बस सुना गीतों हँसाना हो गया |
खायशे पाये जो बड़ी कह लव खुले
दिल चमन सबको दिखाना हो गया |
जिंदगी ने तो सताया हैं बड़ा
सोच पाये सा निभाना हो गया |
एक पक्षी सा मान फसाना हो गया
आज घर में चहचहाना हो गया|
रेखा मोहन
२४/९/२०१७

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]

One thought on “गज़ल

  • रेखा मोहन

    आपका शिकवा पुराना हो गया
    आज मौसम भी सुहाना हो गया |हल्के मन की खुशगवार गज़ल .

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