“मुक्तक”
शीर्षक—कमल, पद्म, पंकज, नीरज, सरोज, जलज आदि समानांतर शब्द
नमन करूँ माँ पद कमल, अर्चन बारंबार।
नव दिन की नवरात शुभ, श्रद्धा सुमन अपार।
धूप दीप नैवेद्य ले, ‘गौतम’ करता जाप-
भक्ति भावना चाहना, माता के दरबार॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
शीर्षक—कमल, पद्म, पंकज, नीरज, सरोज, जलज आदि समानांतर शब्द
नमन करूँ माँ पद कमल, अर्चन बारंबार।
नव दिन की नवरात शुभ, श्रद्धा सुमन अपार।
धूप दीप नैवेद्य ले, ‘गौतम’ करता जाप-
भक्ति भावना चाहना, माता के दरबार॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी