वक़्त
वक़्त जैसा भी हो वैसा ही काट लेता हूँ
ग़ैर का दर्द भी अक्सर में बाँट लेता हूँ
ज़िन्दगी तुझसे ये फुर्सत कभी मिले न मिले
सुकूँ के लम्हों को ग़म में भी छाँट लेता हूँ
वक़्त जैसा भी हो वैसा ही काट लेता हूँ
ग़ैर का दर्द भी अक्सर में बाँट लेता हूँ
ज़िन्दगी तुझसे ये फुर्सत कभी मिले न मिले
सुकूँ के लम्हों को ग़म में भी छाँट लेता हूँ
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इतना ही बोहोत है मेरे लिए बहुत बहुत धंयवाद राजकुमार जी
वाह ! बस इतना ही कह सकता हूँ ।
इतना ही बोहोत है मेरे लिए बहुत बहुत धंयवाद राजकुमार जी