दीवाने हो गए
तुम मिले और हम दीवाने हो गए
बागों के मौसम सुहाने हो गए।
पत्तियों ने ली हैं अब अंगड़ाइयां
पतझडो के दिन पुराने हो गए।
तेरी ही आवाज का जादू है ये
कानों में घुलकर तराने हो गए।
तेरे घर आने की इक उम्मीद से
साफ घर के सारे खाने हो गए।
हर तरफ चर्चे हमारे इश्क के
कहने को किस्से फंसाने हो गए।
उम्र जाते देर लगती है कहां
कल के बच्चे अब सयाने हो गए।
बच्चे भी कहते हैं अब तो आजकल
मां और बाप दोनों पुराने हो गए।
— राजेश सिंह