बे – रूखी
शक़्ल दिल की गवाह नहीं होती
रौशनी हर जगह नहीं होती
कुछ ना कुछ तो गलत हुआ होगा
बे – रूखी बे – वजह नहीं होती
शक़्ल दिल की गवाह नहीं होती
रौशनी हर जगह नहीं होती
कुछ ना कुछ तो गलत हुआ होगा
बे – रूखी बे – वजह नहीं होती
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सचमुच बेरुखी बेवजह नहीं होती ! अति सुंदर रचना अंकित जी !
राजकुमार जी
सराहना के लिए धन्यवाद