त्रासदी है….
त्रासदी है….
क्या छोटा शहर, क्या महानगर… विकृत मानसिकता के व्यक्ति हर जगह पाए जाते हैं । समझ नहीं आता कि स्कूल जाने वाले अबोध बच्चों को पढ़ाई के बारे में समझाएँ या जीवन में आने वाले ख़तरों के बारे में बता कर उनमें असुरक्षा और दूजों के प्रति अविश्वास की भावना पैदा करें ।
रोज स्कूल/ बाजार / घर से बाहर आते – जाते मासूम बेटियों को न जाने कितने ही घटिया बोलों से दो चार होना पड़ता है ।
त्रासदी है….
घबरा के,,,
छुप – छुप के,
किताबों में घुस के
जूझते देखा…
नादान बचपन को
जानने “शब्दों का” अर्थ,
जो सुने थे उसने
पहली बार
विद्यामंदिर के बाहर
मनचलों के मुख से ।
अंजु गुप्ता