छुटकी !
शोभा अपनी सास के साथ सुबह से कन्या पूजन की तैयारी में लगी थी। सब कुछ बन कर तैयार था, जल्दी से कन्याओं को घर पर बुलाने के लिए सासु माँ ने अपने पोते बंटी को बाहर भेजा, दो चार कन्याएं दरवाजे से गुजर रही थी बंटी उनको भुला कर ले आया सासु माँ ने उन्हें बेठाया पर जैसे ही उन्होंने उनको देखा तो झट से खींज गए कहते ये लड़कियां तो छोटी जात की लग रही हैं।
बंटी ये तू किन कन्यांओ को ले आया !सासु माँ ने उन्हें झट से उठाया और कहा जाओ हमने नहीं पूजना तुमको पता नहीं कौन हैं। वो लडंकियां बहुत शर्मिन्दा होकर वहां से उठ कर चल पड़ीं। उनमे से छुटकी जो सब समझ गई थी ध्यान से उस औरत को देख कर चली गई कि कब खत्म होगा यह भेद !
आज पूजन के दिन ये सोच शायद भग्वान को भी बुरा लगा होगा इतना अपमान!घर आकर बैठी हुई लड़कियों को इस तरह से कहकर वापिस भेजना कि तुम छोटी जात की लड़कियों को नहीं पूजना। पास खड़े बंटी और शोभा को भी बहुत बुरा लगा।
छुटकी सोच रही थी बड़े लोगो की सोच इतनी छोटी…..
कामनी गुप्ता***
जम्मू !