गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

स्वच्छता योजना पहले ही बनाए होते
स्वच्छ भारत सजा ये देश निराले होते |
एक हो योजना, हर स्थान हो भोजनशाला
सांसदों तर्ज हो तो घर मे उजाले होते | *
भोजनालय हो सुलभ सस्ता, है ज्यूँ सांसद का
तब तो हर मुँह को दो बेला के निवाले होते |
रहनुमा सोचते गर जन की भलाई यारों
सबके जीवन तो उजाले से नहाए होते |
गर निभाते वे करारें किया जो, तो हम भी
सरहदों पार मुहब्बत भी निभाये होते |
आज तक एक भी मंत्री नहीं आया इस गाँव
अन्यथा गाँव भी फूलों से सजाये होते |
प्रेम की भावना होती तभी अपने होते
दूध मिलता तुम्हे यदि गाय को पाले होते |
गर इशारे से कभी तुमने हमें कह देते
व्याप्त जो प्यार नयन में, तो तुम्हारे होते |
गर हमारी छुपी नीयत वो हड़पना होता
पाक अधिकृत मरा कश्मीर हमारे होते |
गर भरोसा नहीं’करते वो’कपट बैरी को
पाक को चेहरा छुपाने न ठिकाने होते |
फैलती जा रही है हर सू अँधेरी दुनिया
शूर हो तो न अँधेरा, न सितारे होते |
शान–ओ- ऐश, छले जनता को वे बारम्बार
“काली” नेता के नजाने क्या बहाने होते

— कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !