ग़ज़ल
स्वच्छता योजना पहले ही बनाए होते
स्वच्छ भारत सजा ये देश निराले होते |
एक हो योजना, हर स्थान हो भोजनशाला
सांसदों तर्ज हो तो घर मे उजाले होते | *
भोजनालय हो सुलभ सस्ता, है ज्यूँ सांसद का
तब तो हर मुँह को दो बेला के निवाले होते |
रहनुमा सोचते गर जन की भलाई यारों
सबके जीवन तो उजाले से नहाए होते |
गर निभाते वे करारें किया जो, तो हम भी
सरहदों पार मुहब्बत भी निभाये होते |
आज तक एक भी मंत्री नहीं आया इस गाँव
अन्यथा गाँव भी फूलों से सजाये होते |
प्रेम की भावना होती तभी अपने होते
दूध मिलता तुम्हे यदि गाय को पाले होते |
गर इशारे से कभी तुमने हमें कह देते
व्याप्त जो प्यार नयन में, तो तुम्हारे होते |
गर हमारी छुपी नीयत वो हड़पना होता
पाक अधिकृत मरा कश्मीर हमारे होते |
गर भरोसा नहीं’करते वो’कपट बैरी को
पाक को चेहरा छुपाने न ठिकाने होते |
फैलती जा रही है हर सू अँधेरी दुनिया
शूर हो तो न अँधेरा, न सितारे होते |
शान–ओ- ऐश, छले जनता को वे बारम्बार
“काली” नेता के नजाने क्या बहाने होते
— कालीपद ‘प्रसाद’