रूप चतुर्दशी पर कविता : सुंदर रूप
कुछ मीठे शब्दों के उबटन से
अपनी जिव्हा को मधुर कर लें।
प्रेम का इत्र छिड़क के खुद पे
आओ ह्रदय में सुगंध भर लें।
नयनों में भरें काजल स्नेह का,
धैर्य के आभूषणों से संवर लें।
सत्य की लिपस्टिक होठों पे लगा के
अकर्मण्यता के केशों को कतर लें।
हो ईमानदारी से बेदाग त्वचा
क्रोध की झुर्रियों की व्याधि हर लें।
गुणों से चमकता शरीर औ मन हो
आओ इस सुंदर रूप को धर लें।