आस्था और अंधविश्वास के बीच की लकीरों की पड़ताल
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।कबीर दास जी इस
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Read Moreमैंने देखा है, चुनावों के समय,सभ्य को गंवार होते हुए,और चुनाव परिणामों के समय,गंवारों को सभ्य होते।समय,के साथ, गंवार शब्दों
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Read Moreब्रह्माण्ड की मूलभूत ऊर्जा के नौ रूपों के अवतरण को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। रात्रि में मनाए
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Read Moreकितना लगता है वक्त, प्रथा को कुप्रथा बनने में? उतना ही जितना एक मुंह से एक शब्द निकलने के बराबर
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